मेरा गांव कोदागांव

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By: Aaryan Chiram

मेरा गांव
मेरा गांव का नाम कोदागांव है। मेरे गांव कोकांकेर जिला में सबसे बड़ा गांव होने का गौरव प्राप्त हैं। मेरा गांव कांकेर शहरसे 17 कि.मी दक्षिणपश्चिम दिशा में स्थित है। और अगर हाइवे से लिया जायें तो 13 किलोमिटर की दुरी में बसा हैं। मेरागांव बहुत ही सुन्दर गांव एंव स्वच्छ गांव है।यह गांव प्राकृति के गोद में बसा औरअद्वितीय अनुभूति देने वाला मेरा जन्म स्थल है। मेरा लगाव जितना मेरे देश कीमिटटी से है। उतना लगाव मेरे गांव के मिटटी से है। कहते है। न जननी जन्मभुमिश्चस्वर्गदी अपि गरिश्यसि मेरा गांव धन धान्य से परिपुर्ण एंव समृध्द गांव है।मेरेगांव कें पुर्व दक्षिण भाग में पहाड हैं। तथा पश्चिम उत्तर दिशा में नदी है।
जनसंख्या
मेरें गांव की जनसंख्या लगभग 2000 से 3000 हजार के लगभग है।
मेंरे गांव में 10 पारा और 21 वार्ड है।लगभग 700 परिवार निवास करतेहै। प्रति परिवार औसत 4 सदस्य है। तथा उनकी औसत आय लगभग 50.000 हजार सलाना है।तथाहमारे गांव की लगभग तीन चौथाई जनता को गरीबी रेखा का चांवल मिलता है। हमारे गांवमें एक राशन दुकान है। जहां से उन्हे राशन मिलता है। हमारे गांव के जनसंख्या मेंलगभग 3प्रतिशत बुजूर्ग है। जिन्हे फ्री मे 10 किलो चांवल प्रति माह दिया जाता है।तथा प्रति माह पेंशन दिया जाता है।तथा 5 प्रतिशत बच्चे है। उनकी प्राथमिक शिक्षाके लिए आंगनबाडी एंव फुलवारी योजनाएं संचालित है।
मेरे गांव के आर्थिक पक्ष
मेरा गांव आर्थिक रूप से सुदृढ गांव है। मेरेगांव काफी समृध्द गांव है।मेरा गांव सभ्य ,सुन्दर ,सुशिक्षितएंव नैतिकता और आदर्श गांव है।मै यही पला बड़ा हू।तथा यही से शिक्षा ग्रहण कियाहुं । और आज मै अपने गांव के बारे में आप लोगो को बता रहा हुं। मेरे गांव में लगभग200 से 300 तक बोरवेल्स है। जहां पर रवि फसल लियाजाता हैं।मेरे गांव में खेती के लिए एक नहर आता है। जो जिरो डेम से धनेलीकन्हारहोते हुए आता है। जो हमारे गांव के दो चौथाई भाग में सिंचाई करता है। मेरे गांवआकर नहर दो भागों में बंट जाता है। एक दक्षिण से पुर्व होते हुए उत्तर दिशा केनदी में जा मिलता है। तथा एक दक्षिण पश्चिम होते हुए उत्तर दिशा के नदी में जाकरमिलता है। मेरे गांव के 3चौथाई भाग में वर्तमान में रवि फसल लिया जाता है। मेरा गांव के पुर्व व दक्षिणदिशा में पर्वत है तथा पश्चिम उत्तर दिशा में नदी हैं। मेरा गांव कुदरत के गोदमें बसा बहुत ही सुन्दर गांव है। हमारे गांव में खरीब में धान मक्का गन्ना की खेतीहोती है। तथा
ओनहारी खेती
सरसो,चना,लाखडी,बटरा कुल्थी, उडद, राहेड,मडिया,गेहू मटर आदि की भी फसले ली जाती है।
घर की बाडी में सब्जीयों की खेती की जाती है।जिसमें प्रमुख सब्जी है। सेमी,बरबटटी,कददू, लौकी, बैगन, तोराई, गवांर फल्ली,कुन्दरूकरेला जिरर्रा,चेन्चभाजी ,जरी, दार भाजी, रखिया,उडद, गोभी, भिन्डी आदि सब्जी उगाई जाती है। इसकेअलावा कटहल मुन्गा आदि पेडों वाला सब्जी भी मिलता है।
अन्यफसले या आय के साधन
हमारे गांव में अन्य बाजारी आय के प्राकृतिक याप्रत्यक्ष लाभ वाले फसल भी होते है। जिसे प्राकृतिक फसले भी कहा ला सकता है। इसमेंहर्रा ,बेहडा ,चार, महुआ , ईमली, आम, तेन्दू पत्ता आदि सेप्रत्यक्ष लाभ वाली प्राकृतिक चीजे भी मिलती है।
जंगलीफल—फूल
हमारे गांव में जंगली फले भी मिलती है। जिनमेजंगली बेर, सीताफल, छींद, चार ,तेन्दू,आम काजु ,अमटी, बेल, कैंट, डुमर,भेलवा,आदिप्रमुख है।
जंगलीकंद
करू कंद, तिखुर , जंगलीहल्दी आदि
जंगलीभाजी
कंदई भाजी, बर्रे भाजी, चांटीभाजी चरोटा भाजी, कोलियारीभाजी, आदि है।
अधिकमात्रा में पाये जाने वाले पेड़—पौधे
हमारे गांव में हर्रा ,बेहडा, चार, महुआ, साहजा, सेन्हा, कर्रा, बबूल,तेन्दू, छीदसीता, नीम ,आम, पीपल, बरगद,डुमर, आदि पेड़ अधिक मात्रा में पाया जाता है।
शिक्षाएंव संस्था।
हमारे गांव में लगभग 8—10 आंगनबाडी केन्द्र है। जहां बच्चो कोप्राथमिक शिक्षा दिया जाता है। तथा 4 प्रायमरी स्कुल 2मिडिल स्कुल व 1हायर सेकेन्डरी स्कूल है। साथ ही साथ आदिवासी छात्रवास भी है। हमारे गांव के स्कुलसे निकले विद्यार्थी कई सरकारी पदो में कार्यरत है। तथा अपना सेवा शासन को दे रहेंहै।हमारे गांव का स्कुल कांकेर जिला का एक ख्याति प्राप्त स्कुल है। जहा समय समयपर कई प्रकार के कार्यक्रमो का आयोजन किया जाता है।
सांस्कृतिकपक्ष
हमारे गांव में कई प्रकार का सांस्कृतिककार्यक्रमो का आयोजन विभिन्न उत्सवों के अवसरों में किया जाता है। हमारे गांव मेंएक सांस्कृतिक नाटक मंच भी है। इस संगठन का नाम ज्योति सांस्कृतिक नाटक मंच रखागया है। तथा 2रामायण मंडली भी है। एक पुरूषो का एक महिलाओं का। तथा हमारे गांव में समय समय परसांस्कृतिक कार्यक्रम रखे जाते है। जैसे रामसप्ताह, भजन क्रीतन सत्संग नाचा गम्मत डांस प्रतियोगिता खेल प्रतियोगीता आदिप्रतियोगिता रखा जाता है।
अन्यजानकारी
हमारे गांव में लगभग 25 से 30 तालाब है। जिनका उपयोग पशुओ को धोने व नहाने मछली पालन तथापशुपक्षियों के पीने व खेतो मे सिचाई करने के लिए किया जाता है।वर्तमान में कईतालाब निर्माणाधीन है। तथा हमारे गांव में एक बांध है। जो 2009 से 2011 तक बनी है। तथा हमारे गांव में प्रत्येक पारामें 1—1 नल है। जिससेपीने की पानी की आपुर्ति होती है।तथा एक टाईमिग नल भी है। जिसका पानी दिन में दोबार सुबह और शाम को पुरे गांव में सप्लाई होती है।तथा वर्तमान में हमारे गांव मेंप्रत्येक पारा में 1—1पानी टंकी अलग से बनार्इ् जा रही है। ताकि पानी की किल्लत न हो। हमारे गांव मेंपशु चराने के लिए प्रयाप्त स्थान था किन्तु वर्तमान में बहुत कम बचा हुआ हैं तथाहमारे गांव में लगभग 1000गाय बैल 150भैस 70 सुंवर 1500 मुर्गीयां व 700 अन्य पालतू पशु है। तथा हमारे गांवमें लगभग सभी घर सायकल व 60प्रतिशत लोगों के पास मोटर साइकल व 0.03 प्रतिशत लोगो के पास चार पहिया वाहन है। हमारेगांव के पहाड में बंदर भालू सियार खरगोश जंगली बिल्ली व अन्य जंगली जानवर पायाजाता है।हमारे गांव में बटेर पक्षी,व जंगली कबुतर कौआ गौरेयाचटीया उसी कोयल बाज तोता आदि पक्षी देखने को मिलता है।हमारे गांव में 3राइसमिल है।व आटा मिल है।तथा बिजलीआपुर्ती हेतू गांव में लगभग 10ट्रांस्फार्मर है। जहां से पुरे गांव में बिजली सप्लाई होता है। गांव में 3 मंदिर हैं राम मंदिर शिव मंदिर व राममंदिर व शितला मंदिर
देवी देवता स्थल ?
हमारे गांव में कई प्रकार कें देवी देवता स्थलहै। जिनमें
1. आंगादेव स्थल यह सितला मंदिर के उपर पहाड के किनारे है। तथा
2.ठाकुरदेव यह ईसाई बंगला के पास है।
3.ठाकुरदेव यह भी लडके साइड के इसाई बंगला के पास स्थित है।
4.रावदेव यह पहाड किनारे स्थित है।
इसके अलावा और देवी देवता है। जिसमें पहाड वालीरानी माई काली माई डोकरी दाई आदि देवी देवता है। जिनका देव स्थल केवल पुजारी वगांव के कुछ ही लोगो को पता है।
पारा के नाम और कुछ विशेषताएं
1.पटेलपारा:— यह हमारे गांवकें दक्षिण दिशा में स्थित है। यह हमारे गांव के सबसे बडे पारा है। इस पारा में एकप्राथमिक शाला स्थित है। तथा सितला मंदिर इसी पारा से होकर जाते है। इस पारा का औरकई नाम है। आवास पारा ,उप्परपारा ,नयापारा, आदि इस पारा में बडी तालाब स्थित है।जिसे हडडी तालाब के नाम से जाना जाता है। यह तालाब सरकारी है। यह पारा पहाड सेकाफी करीब है।
2. खाल्हेपारा:— यह गांव के पश्चिम दिशा में स्थितहैै। इस पारा में सबसे ज्यादा कुंआ है।तथा इस पारा में गौरा—गौरी चौक स्थित है।इसपारा में दिपावलीमें बहुत ही अच्छा कार्यक्रम रखा जाता है। तथा इस पारा में कबीर चौक है। जहां पर 25 दिसम्बर को कबीर पंथी का कार्यक्रमरखा जाता हैै।
3.पडिनपारा:— यह पारा गांव के उत्तर दिशा में स्थितहै। यह पारा पोटगांव जाने वाले रास्ते में बीच से कच्ची सड़क उत्तर दिशा कि ओरजाता है। जो पडिनपारा जाता है। जो गांव से करीब 900 मी. की दुरी में बसा एक छोटा और सुन्दर सापारा है।इस पारा में लगभग 25 से30 घर है। यह नदीके बहुत ही करीब में बसा है। तथा यहा से हिगंनझर बहुत ही नजदीक पडता है। हिंगनझरसे बाजार करने वाले इसी रास्ते से आते है।
4.टिकरापारा:— यह गांव केंमध्य एंव उत्तर दिशा में स्थित है। इस पारा में बाजार होता है। तथा राम मंदिर भीइसी पारा में स्थापित किया गया है। इस पारा में नौरात्र मे पंचमी से अष्टमी तकरामायाण कार्यक्रम रखा जाता है।इस पारा मे एक प्राथमिक शाला स्थित है। जो बाजारके पास ही है। इस पारा में बहुत सारी किराना दुकाने स्थित है। जहां भिन्न भिन्नप्रकार के समान मिलता है।
5. आंवराभाट :— यह पारा गांव से लगभग 1.50 किलोमीटर की दुरी पर पुर्व उत्तर किदिशा में बसा है। इस पारा में एक प्राथमिक शाला और एक मिडिल स्कुल स्थित है। इसपारा में गोंड जनजाति के लोग अत्यधिक है। इस पारा में लगभग 150 घर है। तथा यह पारा मैनपुर जाने वालेरास्ते में पडता है। मैनपुर जाने वाले रास्ते से लगभग 800 मीटर उत्तर दिशा में यह पारा स्थितहै। इस पारा से चंदेनी जाने का सार्टकट रास्ता है। यह पारा से नदी काफी नजदीक है।वर्तमान में इस पारा को अलग से गांव माना जाने लगा है। जिसे कोदागांव का आश्रितगांव कहा जाने लगा है। इस पारा से लगभग 900 मी. की दुरी पर नदी स्थित है।नदीकोदागांव को चंन्देनी से अलग करता है। कहने का तात्पर्य यह है। कि यह पारा कांकेरब्लाक के बाव्डर पर स्थित है। नदी के उस पारा चारामा ब्लाक लग जाता है। इस पारकांकेर ब्लाक और मैनपुर इस पारा से लगभग 2 कि.मी की दुरी पर है। इसी रास्ते से मैनपुर जा सकते है।
6.बंगलापारा:— यह पारा गांवकें पुर्व दिशा में स्थित है। इस पारा में ईसाई बंगला स्थित है। इसलिए इसपारा कोबंगला पारा के नाम से जाना जाता है। ईसाई लोगो का इस साइड के बंगले में केवललड़कियो को रखा जाता है। एक प्रकार से यह प्राइवेट गर्ल हास्टल हैं।जहां दुर दुरसे गांव में पढनें आने वाले छात्राएं रह सकतें है। यह बंगला बहुत ही पुराना समय सेहै। पहले ईसाई लोग गांव के लोगो का इलाज भी किया करते थे। किन्तु वर्तमान में कईडॉक्टर है। गांव में इसलिए ईलाज नही करते, इस पारा में गांव का एक मात्र उपस्वास्थय केन्द्र मौजुद है। जहांहमारे गांव के लोगो को प्राथमिक ईलाज मुहैया किया जाता है। तथा इसी पारा में एकबड़ा सा पानी टंकी भी मौजुद है। जिसका पानी पुरे गांव में सप्लाई किया जाता है। इसटंकी को 2010—2011 केलगभग बनाया गया है। इस पारा में राधा स्वामी सत्संग व्यास स्थिापित किया गया है।तथा इसी पारा में ठाकुरदेव भी है। यह पारा से होते हुए ही देवरी जा सकते है। या यहकह सकते है। कि यह पारा देवरी रास्ता में पडता है।
7.स्कुलपारा:— यह पारा गांव केमध्य भाग में स्थित है।इसी पारा में गांव के सबसे बड़े स्कुल हायर सेकेन्टरी स्कुलमौजुद है। जहां वर्तमान में लगभग 800विद्यार्थी अध्ययनरत है। यह स्कुल कांकेर जिला का ख्याति प्राप्त स्कुलो मेसे एकहै। इस स्कुल से पासआउट हुये विद्यार्थी आज कई सरकारी पदो में पदस्थ होकर देश कीसेवा कर रहें है। तथा अपना और इस स्कुल का नाम रोशन कर रहे है।
8.ईमलीपारा:— यह पारा आंवराभाट में ही स्थित है।
9.भंजनपारा:— यह पारा गांव केपश्चिम दिशा में लगभग 1.50किलोमीटर की दुरी में बसा है। इस पारा से होते हुए ही आप बाबू दबेना जा सकते है।
10.आमापारा:— यह पारा गांव के दक्षिण पश्चिम दिशामें स्थित है। इस पारा में एक प्राथमिक स्कुल स्थित है। तथा इस रास्ते से आपधनेलीकन्हार जा सकते है।
मेरेगांव के आस—पास स्थित गांव और मेरे गांव से उनकी दूरी
1.बारदेवरीयह मेरे गांव से 4किलोमीटर की दुरी पर पुर्व दिशा कि ओर बसा है।
2.कन्हारपुरीयह मेंरे गांव से लगभग 3किलोमीटर की दुरी पर पुर्व दक्षिण दिशा में बसा है
3.जोगीनगर यह मेरे गांव से लगभग 1.50कि.मी की दुरी में पुर्व दक्षिण दिशा मे बसा है।
4.धनेलीकन्हारयह गांव मेरे गांव से लगभग 3.50कि.मी की दुरी पर दक्षिण पश्चिम दिशा में बसा है।
5.बाबूदबेना यह मेरे गांव से पश्चिम दिशा में लगभग 3 कि.मी की दूरी पर बसा हैं
6.पोटगांवयह गांव मेरे गांव से 3.50कि.मी की दूरी में पश्चिम उत्तर की ओर बसा है।
7. हिंगनझरयह मेरे गांव से लगभग 4कि.मी की दूरी में उत्तर दिशा की ओर बसा हैं।
8.चन्देनीयह गांव मेरे गांव से लगभग 4कि.मी की दूरी में उत्तर पुर्व की दिशा मे बसा है।
9.मैनपूरयह मेरे गांव से लगभग 4.50कि.मी की दूरी पर पूर्व की ओर बसा है।
10.किरगोलीयह मेरे गांव से 4किलोमीटर की दूरी पर पूर्व दिशा मे बसा गांव है।
क्षेत्रफल
गांव का क्षेत्रफल निम्नलिखित प्रकार सेहै।हमारे गांव का क्षेत्रफल
दक्षिण से उत्तर 4.694 कि.मी 2.917मिल तक फैला हुआ है। तथा
पूर्वसे पश्चिम 3.936 कि.मी 2.446मिल तक फैला है।तथा हमारे गांव का कुल क्षेत्रफल
कुल 14.7 कि.मी 9.1मिल है।तथा गांव के लगभग 3 मील पर ही घर बने हैं। बाकि 6मील में खेत मैदान पहाड आदि है।
किवन्दतीलोक कहावत
हमारे गांव के संदर्भ एक किवन्दती है। कि हमारेगांव का नाम कैसे कोदागांव पड़ा। कहा जाता है।कि एक बार हमारे गांव में एक बारबहुत ही अधिक कोदो हुआ उसको नापते नापते कई सप्ताह बित गया जितना नापता उतना बडताजाता एक समय एैसा आया कि नाप नही पाया और पुरा कोदो पहाड में परिवर्तन हो गया उसदिन से हमारे गांव का नाम कोदोगांव हुआ और वही नाम धीरे धीरे कोदागांव हो गया जोवर्तमान में प्रचलित है।
त्यौहारएंव उत्सव ?
हमारे गांव में वैसे तो सभी त्यौहार को धुम धामसे मनाते है। केवल दशहरा नही मनाया जाता है।कारण तो पता नही पर सुनने में आता है।कि हमारे गांव के रावण चोरी हो गया इसलिए दशहरा नही मनाया जाता है। एैसा माना जाताहै। हमारे गांव में दुर्गा नवरात्र पर्व को बहुत ही धुमधाम से मनाया जाता हैैं।येसा माना जाता है।कि जो नवरात्र मे जो रामायण कार्यक्रम रखा जाता है। वो हमारेगांव से शुरू हुआ।मुझे भी यह बात बिलकुल सही लगता है। मेरे जानकारी के अनुसार यहबात बिलकुल सही है। पहले हमारे गांव में एक साइड ,पटेल पारा,साइडदुर्गा पक्ष में देवी देवता का पुजा होता था तथा उन्हे खेलाया जाता था तथा रात भरभजन गाया जाता था लेकिन इससे टिकरापारा साइड स्थिापित दु्र्गा के पास केवल पुजारीके अलावा कोई नही रह जाता था सब लोग पटेल पारा साइड देखने आ जाते थे।उस साइड केलोग सोचे कि इधर क्यो न रामायण किया जाये ताकि जो लोग उधर जाते है। देखने वो नजाये इसलिए पहले साल क्रीतन करवाया गया उनके अगले साल दो तीन गांव के रामायण मंडलीबुलवाया गया। इसप्रकार धीरे आस पा्स के गांव में लोग रामायण करवाने लगे आज केवर्तमान में प्राय: सभी गांव में दुर्गा पक्ष में रामायण कार्यक्रम रखा जाने लगाहै।दुर्गा पक्ष को हमारे गांव में बहुत ही धुमधाम से मनाया जाता है। पहले 1से 9दिन तक रामायण कार्यक्रम रखा जाता था किन्तु वर्तमान में पंचमी से अष्टमी तक हीरामायण कार्यक्रम रखा जाता है। तथा नवमी के दिन गांव के बच्चों की डांस कम्पीटिसनरखा जाता है।।इसकें अलावा दिपावली के त्यौहार को बहुत ही धुमधाम से मनाया जाता है।तथा इसदिन गांव के गौरा गौरी चौक में कार्यक्रम का आयोजन भी करवाया जाता है। इसकेंअलावा होली त्यौहार को गांव के होलिका दहन स्थल पर होलिका दहन किया जाता है।तथाटिकरा पारा में फाग गीत का आयोेजन भी किया जाता है।
मेला
हमारे गांव का मेला फरवरी महिने के पहले सप्ताहके प्रथम शुक्रवार को होता है।तथा इस मेंले में भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया जाताहै।इस मेले में बहुत ही भीड़भाड़ रहता है।आस पास के सभी गांव के लोग आते है। तथामेंला देखने सभी अपने रिश्तेदारो को इन्वाइट भी किये रहतें।
लेकिन वर्तमान 2016 से हमारेे गांवमें दों बार मेला हो रहा है। एक फरवरी में तथा सेकेन्ट शिवरात्रि को इस वर्ष प्रथमबार हुआ है।बहुत ही अचछा और बहुत ही भीड़ था।
धार्मिकपक्ष
हमारे गांव में प्राय: सभी धर्मो को मानने वालेलोग रहते हैं। हमारे गांव के लोग सभी धर्मो के कार्यक्रम को समान रूप से सम्मानदेते है। तथा एक दुसरे के कार्यक्रमो में भाग लेते है। जैसे दुर्गा पक्ष,गणेशपक्ष के कार्यक्रम में सतनामी एंव इसाई लोग समान रूप से सहायता देते है।तो हिन्दुलोग भी गुड फ्राई डे व क्रिसमस डे को उनके कार्यक्रम में भाग लेते हैं।तथा कबीरपंथी में भी समान रूप से भाग लेते है। किसी भी प्रकार का भेदभाव नही है।बहुत हीभाईचारा है। तथा मदद की भावनाओ से परिपुर्ण है।
नैतिकपक्ष
हमारे गांव में आपको नैतिकता भी देखने को मिलेगाहमारे गांव में नैतिक भाव सिखाने के लिए कई प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन कियाजाता है।जिसके माध्यम से सभी नैतिककता वान हो इसलिए प्रत्येक शुक्रवार कोमानवधर्म संबंधित कार्यक्रम व रविवार को सत्संग कार्यक्रम होता है।तथा मातृ—पितृ दिवस आदि कार्यक्रम का आयोजन कियाजाता है।
समाजिकपक्ष
कोदागांव के सभी समाज का सामाजिक पक्ष बहुत हीमजबुत है। जो अन्य गांव के समाज के लोगो के लिए आदर्श का प्रतिक है। यहां कई समाजके लोग है। और सभी समाज के लोगों का अपने समाज के अन्य गांव के आपेक्षा यहां कीसमाजिक पक्ष बहुत ही मजबुत है।
बताने को और भी बहुत कुछ है। दोस्तो आधीजानकारी अगली बार जरूर पढें मेंरे अगला आलेख मेरा गांव आपका अपना आर्यन चिराम
संलग्न चित्र निम्नाकित है।
1.कोदागांव चौंक का नक्शा चित्र

2.कोदागांव पहाड का नक्शा चित्र

3.कोदागांव रास्ते का नक्शा चित्र

4.कोदागांव तालाब का नक्शा चित्र

5.कोदागांव बांध का नक्शा चित्र

6. कोदागांव अटल चौक बाजार पारा,टिकरापारा कोदागांव का चित्र

7.राम मंदिर कोदागांव का चित्र

8.रानी माई पहाड कोदागांव का चित्र

9.सीता गुडरा कोदागांव का चित्र

10.कोदागांव कि प्रमुख स्थल

11,कोदागांव कि प्रमुख स्थल

प्रस्तुत जानकारी मेरे अपने जानकारी के अनुसार है। इसमें किसी भी प्रकार की कोई नकल नही किया गया है। तथा मेरे द्वारा लगाये गये कुछ अनुमान में कुछ त्रुटि भी हो सकता है। आपका अपना आर्यन चिराम
Labels: कोदागांव, मेरा गाँव, लेखक आर्यन चिराम, हल्बा समाज
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